Monday, April 4, 2011

High Court Justice Opinion on Brahmand Pujan Naresh Sonee

High Court Justice impressed and influenced
by Naresh Sonee’s book
Brahmand Pujan
May be celebrity - ministers, star actors, writers, directors, sports men, cricketers, scientists, saints, philosophers, literates , scholars, doctors, advocates, commissioners, media press. Needless to add, everybody values the wise verdict of Justice and so certainly surrender, bow and obey the dictates. Mass believes, that the Judge is the ultimo supremo , the reflected icon of wisdom for society in whole. Certainly true, as he abides and direct the constitution – the Court of Law.
However,  if the High Court Justice get impressed & influenced, praising the author of Brahmand Pujan  then what rest of the world has to say, next ? It’s now cent percent clear that the book to be considered is not an ordinary one.  Self read out what the former Punjab & Haryana High Court  Justice has to say about  Brahmand Pujan writer Naresh Sonee .
The book is winning hearts of masses by targeting and reforming their head may s/he be a ‘celebrity’ or just a ‘common’  wo/man. Provided  the hunger is for ultimate knowledge of spiritualism and wisdom.
          
                                                                  ‘A FEW WORDS ’
We in India take pride in being very religious people. This feeling of pride emanate from the fact that ours is the most ancient civilization governed by the message contained in our ancient scriptures and holy books. However, when one looks around and takes notice of what is happening in the society, one wonders whether we understand the true meaning of being religious. To me religion, irrespective of the name by which it is called, brings out the basic goodness of a human being and is reflected in his actions. Unfortunately today the meaning of religion appears to have been reduced to a set of rituals which are blindly followed.
I have the privilege of going through the draft of the second edition of Brahmand Pujan and have been deeply impressed and influenced by its contents. It inspires the reader to rise above rituals and persuade him to introspect and evaluate his actions by applying the yardstick of goodness as contained in our scriptures and holy books. It sets the process of communication with self in motion and enables the reader to try and find God within himself. I wish that this book is read by as many people as possible so that the world becomes a better place to live.
My best compliments to the author Shri Naresh Sonee.
Justice N. K. Sud  
Former Judge Punjab & Harayana High Court
Former Lokayukta Haryana
Justice N. K. Sud
Former Judge Punjab & Harayana High Court
Former Lokayukta Haryana
[Retd. 15 -1- 2011]
                                         




Hindi Translate
'ब्रह्माण्ड पूजन' से प्रभावित हुए -
उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति  सूद
जानी मानी हस्ती चाहे वह - मंत्री, नेता, स्टार कलाकार, लेखक, निर्देशक, क्रिकेटर, वैज्ञानिक, संत, दार्शनिक, साक्षर, विद्वान, डॉक्टर, अधिवक्ता, पूंजीपति, आयुक्त, मीडिया प्रेस हो, हर किसी को न्यायमूर्ति के सामने न ही केवल घुटने टेक कर झुकना पड़ता है, बल्कि न्यायाधीश  के दिए हर फैसले को नजर अंदाज़ किये बिना अमल करना पड़ता है। चाहे कानून, नैतिकता या समाज ज्ञान हो, इन्हें न्यायमूर्तियों से बेहतर भला कौन जान सकता है? समाज का मानना है कि संविधान का पालन करता न्यायाधीश परम ‘गतमास  सुप्रीमो' होता है। उसका चरित्र, उसकी ज्ञानी सोच, उसकी नैतिक परख, उसके कार्य द्वारा परिलक्षित होती है, और जन साधारण पर गहरी मिसाल [ छाप] छोड़ती है।
पँजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति श्री जस्टिस एन. के. सूद का, नरेश सोनी की लिखी 'ब्रह्माण्ड पूजन' पुस्तक के बारे में...

वह चाहे जन साधारण सामान्य हो या प्रसिद्ध प्रभावशाली व्यक्ति, मूल केवल 50 पन्नों मे लिपटी यह पुस्तक, चंद मिनटों में ना केवल पढऩे वाले अपितु बुद्धिजीवी समीक्षकों का भी हृदय  परिवर्तन कर उनके मन को जीत लेती है, उनके दिमाग पर सीधा निशाना साध, विचारों का भी [पोस्टमार्टम] मंथन कर 'परमात्मा तत्व' का निचोड़ रख देती है। पढऩे वाले ‘बुद्धीजीवी’ की खोज और ‘भूख ‘ खरे 'परम ज्ञान' और ‘अध्यात्मिकता’ की हो।

पढि़ए क्या कहना है पँजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति  जस्टिस एन.के. सूद का.... 
                                         कुछ शब्द
भारत में हम लोग बहुत धार्मिक होने पर गर्व करते है। ऐसे गर्व की भावनात्मक उत्पन्न केवल इसी तथ्य या सचाई पर निर्भर है, क्यों कि हमें, हमारे प्राचीन ग्रंथ और पवित्र उपनिषद [ शास्त्र तत्व विधि ]  सूचित  सन्देश निर्देश दे शासित करते रहते है, परन्तु जब आसपास ध्यान से देखा जाये की समाज में क्या हो रहा है? तो यह सोच कर आश्चर्य होता है, कि  - क्या हम सही माने में धार्मिक होने का अर्थ [मतलब] समझते हैं? मेरे लिए धर्म [ मजहब ], बावजूद की वह किसी भी नाम से बुलाया या जाना जाये, इंसान की मूलभूत अच्छाई बाहर लाता है, जो की केवल उसके कर्म कार्यों में परिलक्षित होती है। दुर्भाग्य से आज ‘धर्म’ का अर्थ दुर्बल हो, केवल अनुष्ठानों का एक पक्का संग्रह बन प्रकट प्रदर्शित स्थापित होता है, जिसका पालन आँख बंद करके हो रहा हैं।

सौभाग्य से मुझे, ब्रह्माण्ड पूजन के दूसरे संस्करण का प्रारूप [ ड्राफ्ट ] पढऩे का अवसर मिला, जिसने मुझे बड़ी गहराई और गंभीरता से असर डाल प्रेरित व प्रभावित किया। ब्रह्माण्ड पूजन पाठकों को मजहबी अनुष्ठान से ऊपर उभार (उठा) प्रेरित कर विश्वास दिलाती है।

जैसे शास्त्रों और पवित्र पुस्तकों में निहित है, उन का आत्मनिरीक्षण और मूल्यांकन अपने कार्यों से स्वयं मापदंड करवा अच्छाई के मानदण्ड प्रयोग लागू कराती है। ब्रह्माण्ड पूजन संचार की प्रक्रिया अपने आप की [दिल दिमाग आत्मा की] गति के साथ स्थापित करती है और खुद की कोशिशों से ही भीतर बसे भगवान खोजने मे पाठक को सक्षम बनाती है। मैं चाहता हूँ, जितना सम्भव है,यह पुस्तक ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ सके, ताकि दुनिया एक बेहतर जहाँ [ जगह] बन सके।
मेरी शुभकामनाएं [ अभिनंदन- प्रशंसा ] लेखक श्री नरेश सोनी को है.

पूर्व जस्टिस एन.के. सूद

पूर्व न्यायाधीश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट

पूर्व लोकायुक्त हरियाणा

मार्च, 2011


TO KNOW MORE,

WHAT OTHER HON’BLE DIGNITARIES have to say about NARESH SONEE

Click & Read the following links……

http://dignitaries-say-about-naresh-sonee.blogspot.com/




&

To know more about……
Justice N.K. SUD

http://www.tribuneindia.com/2001/20010430/main7.htm

http://www.indianexpress.com/news/activists-bill-calls-for-lokpal-as-supercop-superjudge/772274/2

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